दायरा
दायरा उनसे रिश्ता था प्यार का और उनकी थी दोस्ती तुम्हारी मुझसे दोस्ती मेरी नजर प्यार की थी तुम्हारी ....वही दोस्ती पर प्यार नहीं था ... उम्मीद थी होगा तुम्हें भी पर नासमझ था मैं कर बैठा भरोसा तुम पर देखकर बेरुखी तुम्हारी बरसों दिल में था जो प्यार अब मिटता चला है । मजबूर हालात को देखर उतना ही चाहा...कि तुम्हें कष्ट न हो... होता इश्क अगर दायरे में भी होता न मिल सका दिल दिल से प्रेम की अधूरी कहानी रही उम्र भर बीत गयी जवानी लाँघ न सके दायरा