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पत्नी - जैनेन्द्रकुमार

  श्री जैनेंद्र कुमार का जन्म कोडियागंज अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में सन 1905 ईसवी में हुआ था । प्रारंभिक शिक्षा जैन गुरुकुल ब्रह्मचर्याश्रम हस्तिनापुर में हुई । बचपन में ही दिल्ली चले गए और वही स्थाई निवास बन गए ।1921 ईस्वी में असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर गांधीजी की पुकार पर आपने कॉलेज छोड़ दिया और एक सत्याग्रही के रूप में जेल यात्रा की  सन 1921 ईस्वी में विशाल भारत में आपकी 'खेल' कहानी प्रकाशित हुई । तदुपरांत आपकी रचना 'त्याग भूमि' में छपी । साधारण जन के मन के भावों को आपने अपनी रचनाओं में बड़ी कुशलता के साथ गहराई तक छुआ है । प्रेमचंद जहां जन चेतना के प्रतीक थे वहां जैनेंद्र ने एक समांतर शहरालू वातावरण में ऊबे मानव के सुख-दुख को व्यक्त किया है । इनकी रचनाओं के मूल में व्यक्ति उसकी एकांकी समस्या प्रेम का वैयक्तिक मूल्यांकन ही नहीं है, वे विवाह को सामाजिक आधार मान बैठे हैं । शहर के व्यथित मानव को वे अपने दार्शनिक विवेक से मुक्त करना चाहते हैं पर असफल रहे है । गांधीवादी विचारधारा के चिंतक का भार ओढ़कर भी वे अपने ही चिंतन में इतने भटक गए कि अपने प्रवाह में कई लेखकों को बहाकर ...