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व्रत भंग - जयशंकर प्रसाद

कहानी का आरंभ दो मित्र नंदन और कपिंजल के वार्तालाप से होता है । दोनों साथ पढ़े हैं । नंदन कलश का पुत्र है । कपिंजल एक निर्धन व्यक्ति है । दोनों की मित्रता में दूरी निर्माण होने में शायद नंदन का अमीर होना ही लगता है । कपिंजल का यह कहना कि "तुम मुझे दरिद्री युवक समझकर मेरे ऊपर कृपा रखते थे , किंतु उसमें कितना तीक्ष्ण अपमान था , उसका मुझे अब अनुभव हुआ।" इसी बात के कारण कपिंजल को लगता है कि नंदन पर अमीरी का दर्प छाया हुआ है । इसी दर्प के कारण दोनों की मित्रता टूट जाती है और कपिंजल दरिद्री का भी गर्व रखता है । कपिंजल कसम खाता है कि वह भूखा मर जाएगा लेकिन किसीके सामने हाथ नहीं फैलाएगा । आगे चलकर वह एक दिगम्बर पंथिय साधु बन जाता है  । इस घटना को कई वर्ष हो जाते हैं । इधर पाटलीपुत्र के धनकुबेर कलश का पुत्र कुमार नंदन उस घटना को भूल जाता है । ऐश्वर्य में जीवन बिताता है । उसे चतुराई से जीना नहीं आता था और न ही वह बहुत हुशार था ।  मगध के महाश्रेष्ठि धनंजय की पुत्री राधा से नंदन का विवाह निश्चित हो जाता है । मगध की महादेवी के कहने पर कि नंदन ज्ञानी, विद्वान नहीं है, फिर भी गुरुओं और बड़े ब...

इंस्टॉलमेंट - भगवतीचरण वर्मा

श्री भगवती चरण वर्मा का जन्म शरिफपुर (शफीपुर ) उन्नाव उत्तर प्रदेश में सन 1903 ईस्वी में हुआ । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एलएलबी कर कुछ दिन काला गाउन पहन कर वकील का पेशा अपनाया । फक्कड़ स्वभाव का व्यक्तित्व एक दिन समाज के बदलते हुए विंबो में नए आदमी की तलाश करने लगा । साहित्य के माध्यम से उन्होंने प्रभावशाली कहानियां लिखना आरंभ किया । विचार साप्ताहिक कोलकाता से निकाला, मुंबई सिनेमा में गए और अंत में रेडियो में काम किया । वे जीवन भर फक्कड़ पण और मस्ती में रहे । नए-नए मानव चित्रों का अपने लेखनी से आकलन करते रहे हैं ।  उनकी कहानियों में मानव चरित्र का विश्लेषण बड़ी कुशलता से निभाया गया है । वह जीवन के सामाजिक परिवेश में जीवित घटनाओं का मार्मिक तथा व्यंग्यात्मक प्रस्तुतीकरण करते हैं । शीर्षक आकर्षक एवं लुभावने होते हैं । परिस्थितियों के साथ वातावरण का विकास जीवन की विकृतियों और विसंगतियों का मखौल उड़ा कर मानव को आगे बढ़ते रहने के लिए उकसाते रहे हैं । उनकी भाषा सरल तथा मुहावरेदार होती है ।   इंस्टॉलमेंट कहानी में हम वर्मा जी की लेखनी का कमाल और व्यक्तित्व की छाप पाते हैं । यह ...