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मुझे आजादी चाहिए

आजादी चााहिए? अनादि काल की  गुलामी से आर्यों-अनार्यों से  धार्मिकता से जातिवाद से उच्च नीचता से  काले गोरे से  प्रांतवाद से भाषावाद से नस्लवाद से  निर्गुण-सगुन से अमीर-ग़रीब से आजादी मिलेगी ब्राम्हणवाद का गला घुटने से ।

कल्पना

 तू है बड़ी कमाल स्वर्ग पैदा किया नर्क पैदा किया सगुण, निर्गुण  आत्मा-परमात्मा तेरा-मेरा पाप-पुण्य धर्म-अधर्म जाति-पाँति सही-गलत सच-झूठ जन्म-पुनर्जन्म हिन्दू-मुस्लिम मंदिर-मस्जिद राम-रहीम भगवान -शैतान शैतानों की शैतान तुम हो खुरापाती दिमाग़ षड्यंत्रकारी दिमाग़ स्वार्थान्ध दिमाग़ के निर्माण की उपज हो भोली नहीं तुम तुम्हारे लिए बहुत बुरी दिल से गाली निकलती है नाश करती हो तुम पर क्या दोष तुम्हारा ?  गलत लोगोंने  ग़लत तरीक़े से  उपयोग किया तुम्हारा जिसका षड्यंत्रकारी दिमाग़ है जिसने भरमाया समाज को जहर घोला दिलों में  मनुष्य-मनुष्य के ।