शब्दशक्ति - अभिधा, लक्षणा और व्यंजना
शब्द शक्ति भूमिका भाषा मानव के विचार-भाव आदि के अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम माना जाता है l जो भाव विचार मूलतः अमूर्त एवं निराकार रहते हैं, उन्हें अनुभूति प्रदान कर काव्य के रूप निर्माण में भाषा ही सहायक बनती है l इसी कारण भाषा को मानव की अमूल्य निधि कह सकते हैं l मनुष्य के विचारों का अदन-प्रदान करने के लिए भाषा ही सर्वश्रेष्ठ साधन माना जा सकता है l भाषा का विचार भावाभिव्यक्ति की दृष्टि से वाक्य एक प्रकार से अनिवार्य धर्म स्वीकार किया जा सकता है l इसी कारण वाक्य को भाषा का एक पर्याय माना गया है l किसी ने कहा है कि “पद्समूहो वाक्यं अर्थसमाहतौ” अर्थात् अर्थ संयत पदों का समूह ही वाक्य है l और भाषा भाव-विचार की संवाहक होने के कारण ही भाषा को काव्य का शरीर या अंगी रूप माना गया है l वाक्य में प्रयुक्त होने वाले सार्थक शब्द 'पद' कहलाते हैं l इस प्रकार हम अर्थ वाचक वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं l जैसे – घर , कमल , कलम , पुस्तक आदि l ये वर्ण समूह एक विशिष्ट अर्थ के परिचायक होने के कारण ही पद हैं l परन्तु यह भी ध्यातव्य है कि प्रत्येक सार्थक शब...