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समकालीन कविता की विशेषताएँ

 समकालीन / सत्तरोत्तरी हिंदी कविता की प्रमुख विशेषतायें पृष्ठभूमि सन 1970 के बाद हिंदी कविता में फिर एक परिवर्तन दृष्टिगोचर हुआ । इस युग के कवियों एवं आलोचकों ने भी काव्य स्वरूप के मानक निर्धारित करने के लिए प्रयास किए हैं । सत्तोरत्तरी हिंदी कविता यह साठोत्तरी हिंदी कविता के बाद की कविता है । इस पीढ़ी के कवियों की निगाह में कविता का संबंध भयानक घिनौने एवं निर्लज्ज यथार्थ से था, रंगीन कल्पना से नहीं ।  सत्तरोत्तरी-कविता जीवन के काफी निकट थी । इसी पीढ़ी की कविता की भाषा रोजमर्रा की बोल-चाल वाली घरेलू भाषा से संबंधित है l जिसके कारण कविता की लय बातचीत की लय पर आधारित है । सत्तरोत्तरी कविता की विशेषताओं पर अनेक विद्वानों ने अलग-अलग ढंग से अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी ने लिखा है कि "समकालीन कविता की बनावट ने कविता की अर्थ-प्रक्रिया को अपने ढंग से कठिन बनाया है । एक और पाठक श्रोता-श्रोता की रचनात्मक भागीदारी का है, जिसके कारण अर्थ की एकनिष्ठाता प्रभावित हुई है, तो दूसरे छोर पर स्वंय कविता का रूप-विन्यास अस्त-व्यस्त हुआ है । एकदम समकालीन परिदृश्य पर कविता की ...