संत काव्य के प्रमुख कवियों का परिचय एवं विशेषताएँ
संत काव्य धारा संत काव्य के प्रमुख कवि 1) संत नामदेव (1270-1350) नामदेव सातारा जिले में कराड़ के पास नरसीबामणी गाँव में 1270 में उत्पन्न हुए।इनके पिता दामाशेठ और माता का नाम जोनबाई था। ये संत ज्ञानेश्वर के समकालीन थे। 'संत काव्य' का प्रयोग निर्गुण धारा के कवियों की बानियों के लिए ही किया जाता है। संत काव्य का प्रारंभ सामान्यतः पंद्रहवी शताब्दी में माना जाता है किंतु उसकी आधार भूमि उससे भी पुरानी है। भक्ति का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की ओर आया, दक्षिण में वैष्णव भक्तों ने भक्ति को एक संबल पुष्ट दिया था। दक्षिण में वैष्णव भक्तों को 'आलवार' कहा गया हैं। ये आलवार भक्त पांचवी से दसवी शताब्दी तक होते रहे हैं। ऐसे बारह आलवार हुए। इनमें आंडाल एक स्री भक्त थी। अपनी इस उत्तरी यात्रा में जब भक्ति की लहर महाराष्ट्र में पहुंची तो संत ज्ञानेश्वर और नामदेव ने उत्तर भारत में पर्यटन कर उसका प्रसार किया। इस प्रकार 13 वी शताब्दी में आकर भक्ति की भावना में एक नए विकास की स्थिति आई, जिसमें जाति और वर्ग की भावनाएं मिट गई। नामदेव स्वय दर्जी थे। उनके विट्ठल संप्रदाय में चक्रधर, गोरा कुम्हार...