मित्र
मित्र छुपी नहीं तुमसे मेरी निजी बात नहीं जानते क्या? तुम मुझे अभी तक छुपा है कोई राज? मित्र क्यों? तुम्हारे मन ने चाही बुराई मेरी क्यों? मेरी उन्नति से नफ़रत हुई मन में तुम्हारे क्यों? बुराई आयी तुमसे नहीं थी ऐसी उम्मीद तुम ऐसे तो नहीं थे? मित्र मित्र से इतनी इच्छा बुरा न चाहो गर छूने लगे आसमान न बन सके सीढ़ी कोई बात नहीं काँटे तो मत बोना क्यों कि मित्र हो इतनी तो मित्रता निभाना ।