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निबंध का विकास-क्रम

    भारतेंदु युग १८५७ -१९०० भारतेंदु युग से पूर्व का काल भाषा के स्थिर हो जाने का का युग था । भारतेंदु हरिश्चंद्र के नेतृत्व में हिंदी गद्य में नया निखार आया और उसकी कई विधाएं विकसित हुई । इससे पूर्व साहित्य के नाम पर हिंदी में केवल काव्य की संपदा मात्र थी । भारतेंदु युग में गद्य की विविध विधाओं कहानी , नाटक , उपन्यास , निबंध आदि में रचना होने लगी । साथ ही इतिहास , भूगोल , धर्म , पुराण, जीवनी , यात्रा , गणित , राजनीति जैसे बहुमुखी विषयों को लेकर भी लेखन होने लगा । भारतेंदु काव्य के क्षेत्र में भले ही परंपरा वादी रहे हो पर गद्य के क्षेत्र में वे नितांत आधुनिक थे । इसके अतिरिक्त उनका व्यक्तित्व इतना समर्थ था कि अनेक लेखक उनके चारों ओर एकत्रित हो गए थे । डॉ . बच्चन सिंह के शब्दों में " उपन्यास और कहानी लेखन के मूल में बंगला की प्रेरणा हो सकती है पर निबंध उस समय की उस वैयक्तिक स्वच्छंदता की देन है जो उस ऐतिहासिक परिवेश के कारण उत्पन्न हुई थी ।" निबंध का विकास -क्रम   हिंदी में निबंध का विकास भारतेंदु युग से ही हुआ है । इस काल के निबंध विषय वस्तु ...