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मुझे आजादी चाहिए

आजादी चााहिए? अनादि काल की  गुलामी से आर्यों-अनार्यों से  धार्मिकता से जातिवाद से उच्च नीचता से  काले गोरे से  प्रांतवाद से भाषावाद से नस्लवाद से  निर्गुण-सगुन से अमीर-ग़रीब से आजादी मिलेगी ब्राम्हणवाद का गला घुटने से ।

कल्पना

 तू है बड़ी कमाल स्वर्ग पैदा किया नर्क पैदा किया सगुण, निर्गुण  आत्मा-परमात्मा तेरा-मेरा पाप-पुण्य धर्म-अधर्म जाति-पाँति सही-गलत सच-झूठ जन्म-पुनर्जन्म हिन्दू-मुस्लिम मंदिर-मस्जिद राम-रहीम भगवान -शैतान शैतानों की शैतान तुम हो खुरापाती दिमाग़ षड्यंत्रकारी दिमाग़ स्वार्थान्ध दिमाग़ के निर्माण की उपज हो भोली नहीं तुम तुम्हारे लिए बहुत बुरी दिल से गाली निकलती है नाश करती हो तुम पर क्या दोष तुम्हारा ?  गलत लोगोंने  ग़लत तरीक़े से  उपयोग किया तुम्हारा जिसका षड्यंत्रकारी दिमाग़ है जिसने भरमाया समाज को जहर घोला दिलों में  मनुष्य-मनुष्य के ।

लॉक डाऊन के पहले के दिन

यू ही अपनों का रोज का  रोज सुबह गुड मॉर्निंग नमस्कार कहकर होता प्रारंम्भ सभी अपने ऑफिस पहुँचते रूटीन काम कर  थके हारे शाम को घर पहुँचते फिर घर में बात तक नहीं करते दिन भर मशीन की तरह काम शरीर को ठीक आराम नहीं कई बीमारियों का अड्डा बना दावा दारू करते रहे  स्वास्थ्य सारा गवाते रहे बेहाल सी बनी थी जिंदगी बेरंग था सब कुछ  अब कुछ रंगीन नजारा होगा ।

मित्र

मित्र छुपी नहीं तुमसे मेरी निजी बात नहीं जानते क्या? तुम मुझे अभी तक छुपा है कोई राज? मित्र क्यों? तुम्हारे मन ने चाही बुराई मेरी क्यों? मेरी उन्नति से नफ़रत हुई मन में तुम्हारे क्यों? बुराई आयी  तुमसे नहीं थी ऐसी उम्मीद तुम ऐसे तो नहीं थे? मित्र मित्र से इतनी इच्छा बुरा न चाहो  गर छूने लगे आसमान न बन सके सीढ़ी कोई बात नहीं काँटे तो मत बोना क्यों कि मित्र हो इतनी तो मित्रता निभाना ।

सिद्ध साहित्य की विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि

सिद्ध साहित्य प्रस्तावना :- प्रथम सिद्ध कवि और हिंदी के प्रथम कवि सरहप्पा का आविर्भाव काल 817 वि . माना जाता हैं। इसी आधार पर सिद्धों का समय 827 वि . से 1257 ईसवी तक निर्धारित किया गया है। गौतम बुद्ध के मृत्यु के पश्चात बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया। हीनयान और महायान । बाद में महायान के भी कई भाग हो गए जिन में वज्रयान और सहजयान मुख्य है। धीरे - धीरे वज्रयान और सहजयान में मंत्र चमत्कार और वाममार्ग समां गया। इस प्रकार कालान्तर में मंत्रो द्वारा सिद्धि का चमत्कार प्रस्तुत करनेवाले साधक सिद्ध कहलाए। सिद्धों ने बौद्ध धर्म के वज्रयान तत्त्व का प्रचार करने के लिए जो साहित्य जन भाषा में लिखा हैं वह सिद्ध साहित्य के नाम से प्रचलित हुआ है। राहुल सांकृत्यायन ने 84 सिद्धों के नामों का उल्लेख किया है। जिनमें सरहप्पा से यह साहित्य आरम्भ होता है। इसलिए इन्हें हिंदी का प्रथम कवि माना जाता है। सिद्ध साहित्य के कवियों की परंपरा सातवी शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक मानी जाती है। बौद्ध धर्म विकृत ...