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पहेली

पहेली दोस्तों यह पहेली सुलझाओ  बौद्ध पिता का हिंदू स्री से उत्पन्न पुत्र हिंदू रिवाज अपनाता है । वही पुत्र बौद्ध लड़की से शादी कर हिंदू रिवाज अपनाता है । लड़का बौद्ध पिता का होकर भी, संस्कार हिन्दू मां के अपनाता हैं । वह मां के संस्कारों को ढोता है । पिसती रहती है उसकी पत्नी । जो बौद्ध है । उसने पिता के संस्कारोवाली  बौद्ध लड़की से शादी की। और घर में हिन्दू संस्कार है। द्विधा यही हैं यारो कि  इस बौद्ध लडक़ी को  कौन से संस्कार अपनाने चाहिए? क्या हिन्दू लड़के से शादी की इसलिए उसे हिन्दू के संस्कार  अपनाने चाहिए? मूल विचारों के खिलाफ वह सत्यनारायण की पूजा में बैठे? या फिर बुद्ध की विचारों को अपनाकर  त्रिशरण पंचशील का पाठ पढ़े? जब बौद्ध समाज की बात हो तो बौद्ध की बात करें। और जब हिन्दू पति के साथ हो तो गणपति की बात करें । या फिर दोनों विचारधारा को अपनाने की अनुमति  समाज उसे देगा ? करीना कपूर खान बना आसान तो है। पर  रिश्ता निभाना इतना आसान है? धर्म चाहे जात हो उस लड़की की  मानसिकता की बात हो। Dr.P M.

मानसिकता सवर्ण क्यों

मानसिकता सवर्ण क्यों? बाबा मैने देखा है क्यों ऐसा होता है? माता सवर्ण पिता दलित उत्पन्न पुत्र-पुत्री की  मानसिकता सवर्ण क्यों? दलित स्री पिता सवर्ण इनसे उत्पन्न पुत्र-पुत्री की मानसिकता सवर्ण क्यों? दलित स्री पिता सवर्ण ही इनके घरों में दलित स्री का  छल और अपमान क्यों? सवर्ण स्री दलित पति के घर में आदर और पूजा की पात्र क्यों? अंतर्जातीय विवाह से जातीयता के  बंधन कम होंगे कहाँ था आपने , सवर्ण स्री या पुरुष हमेशा  पूजा का पात्र ही क्यों? और दलित स्री या पुरुष के लिए  गम और नफरत ही क्यों? बाबा आपने कहा था कम होंगे बंधन जातीयता के अंतरजातीय विवाह से पर बदलेगी कभी मानसिकता  सवर्ण मन की, करेंगे कभी विरोध  मनुवादी व्यवस्था का! कभी उतरेगी इनके गले में आपकी दी प्रतिज्ञा  डॉ. पी एम

खेलती इश्किया

पत्थर को पूजता रहा भगवान समझकर । प्यार किया था तुमसे  इंसान समझकर । दीवानगी की हद हुई उसके मना के बाद भी बात समझ मे नहीं आयी । बुरा वक्त, बुरी संगत बुरे लोग से जीवन में दुख निर्मण होता है । दिल पे न ले दीवाने इश्क में जलते परवाने कई फूल खिलते बगियाँ में माली बनकर रखवाली कर फूलों की उसके प्यार में न पड़ ओ गुलाब की कली तू गेंंदा फूल वो खिलता कमल तू बुझता सूर्यफुल है चूहे बिल्ली का खेल खेलती ये इश्किया

पसंद हो तो

🌹 तो पसंद की पसंद थी हमारे पसंद की पसंद न थी जिसके साथ थी उसकी पसंद न थी पता नहीं साथ रही पसंद आ गया साथ रहो तो कुत्तो से भी प्यार होगा यही मेरा वादा होगा...🙏🙏🙏

जैन साहित्य के प्रमुख कवि एवं विशेषताएँ

जैन साहित्य जिस प्रकार हिंदी के क्षेत्र में सिद्धों ने बौद्ध धर्म के वज्रयान मत का प्रचार किया उसी प्रकार पश्चिमी क्षेत्र में जैन साधुओं ने अपने मत का प्रचार किया । इसकी मुख्य दो शाखाएं हैं। एक दिगम्बर और दूसरी श्वेताम्बर । श्वेताम्बर जैन साधुओं कवियों विद्वानों का इस समय का क्षेत्र राजस्थान और गुजरात रहा है।  महामानव बुद्ध के समान महावीर स्वामी ने भी अपने धर्म का प्रचार लोक भाषा के माध्यम से किया है। इसी प्रकार जैन धर्म के अनुयायियों को अपने धार्मिक सिद्धांतों का ज्ञान अपभ्रंश में प्राप्त हुआ।जैन मुनियोंने अपभ्रंश भाषा में प्रचुर मात्रा में रचनाएँ लिखी है, जो धार्मिक है। वैसे तो जैन उत्तर भारत में जहां तहाँ फैले रहे। किंतु आठवीं से 13 वी शताब्दी तक काठियावाड गुजरात में इनकी प्रधानता रही है। वहां के चालुक्य राष्ट्रकूट और सोलंकी राजाओं पर इनका पर्याप्त प्रभाव रहा।       महावीर स्वामी का जैन धर्म हिंदू धर्म के अधिक समीप है। जैनों के यहां भी परमात्मा तो है पर वह सृष्टि का नियामक न होकर चित्त और आनंद का स्रोत है। उनका संसार से कोई संबंध नहीं प्रत्येक मनुष्य अपनी साधना...

संत काव्य के प्रमुख कवियों का परिचय एवं विशेषताएँ

संत काव्य धारा संत काव्य के प्रमुख कवि 1) संत नामदेव (1270-1350) नामदेव सातारा जिले में कराड़ के पास नरसीबामणी गाँव में 1270 में उत्पन्न हुए।इनके पिता दामाशेठ और माता का नाम जोनबाई था। ये संत ज्ञानेश्वर के समकालीन थे। 'संत काव्य' का प्रयोग निर्गुण धारा के कवियों की बानियों के लिए ही किया जाता है। संत काव्य का प्रारंभ सामान्यतः पंद्रहवी शताब्दी में माना जाता है किंतु उसकी आधार भूमि उससे भी पुरानी है। भक्ति का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की ओर आया, दक्षिण में वैष्णव भक्तों ने भक्ति को एक संबल पुष्ट दिया था। दक्षिण में वैष्णव भक्तों को 'आलवार' कहा गया हैं। ये आलवार भक्त पांचवी से दसवी शताब्दी तक होते रहे हैं। ऐसे बारह आलवार हुए। इनमें आंडाल एक स्री भक्त थी। अपनी इस उत्तरी यात्रा में जब भक्ति की लहर महाराष्ट्र में पहुंची तो संत ज्ञानेश्वर और नामदेव ने उत्तर भारत में पर्यटन कर उसका प्रसार किया। इस प्रकार 13 वी शताब्दी में आकर भक्ति की भावना में एक नए विकास की स्थिति आई, जिसमें जाति और वर्ग की भावनाएं मिट गई। नामदेव स्वय दर्जी थे। उनके विट्ठल संप्रदाय में चक्रधर, गोरा कुम्हार...

आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास पर कुछ प्रश्नोत्तर

1)  हिंदी भारत दुर्दशा किसकी रचना है?  उत्तर - भारतेंदु हरिश्चंद्र 2) आधुनिक काल को गद्य काल किसने कहा है?  उत्तर - आचार्य रामचंद्र शुक्ल 3) 'निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल' किसकी पंक्ति है?  उत्तर - भारतेंदु हरिश्चंद्र प्रश्न 4 . खड़ी बोली का पहला महाकाव्य कौन सा है? - उत्तर- प्रियप्रवास प्रश्न 5. 'ब्राह्मण' पत्रिका के संपादक कौन थे?  उत्तर -प्रताप नारायण मिश्र प्रश्न 6. ' कलि कौतुक ' किसकी रचना है?  उत्तर - प्रताप नारायण मिश्र प्रश्न 7. 'हिंदी प्रदीप ' के संपादक कौन थे? उत्तर -बालकृष्ण भट्ट प्रश्न 8 . 'इतिवृत्तात्मकता' किस युग की मुख्य विशेषता है? - उत्तर - द्विवेदी युग प्रश्न 9. 'प्लासी का युद्ध' के रचनाकार कौन थे? उत्तर -मैथिलीशरण गुप्त प्रश्न 10. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी का पहला उपन्यास किसे माना है? उत्तर  - परीक्षा गुरु प्रश्न 11. 'कर्मवीर' के संपादक कौन थे? उत्तर -माखनलाल चतुर्वेदी प्रश्न 12. 'सरस्वती' का प्रकाशन किस वर्ष प्रारंभ हुआ ? उत्तर - उन्नीस सौ 1900 प्रश्न 13. 'हल्दीघाटी...