जब बात होती है तुमसे
जब बात होती है तुमसे सोचने लगता हूँ तुम्हारे बारेमें बेवजह जिन एषणाओं को दबा रखा था और उभर कर सामने आते हैं सोए अरमान तब तुम बेखबर सोती होगी उस रात जब मैं जागता था सारी रात सोचते हुए तुम्हें थी उम्मीद प्यार की तुम्हारे इकरार की बदला नहीं अब भी । मन तुम्हारा जाना आज मैने कि लोग बातों के , रातों के घूमने के , मिलने के प्यार के लिए और नफरत के लिए भी अलग-अलग दोस्त रखते हैं। इश्क़ का मंजर यह है यारों घूमों किसी के साथ बातें करो किसी के साथ और इश्क़ करो किसी के साथ । आज कल खूबी एक नहीं मिलती मिलती है हजार ।