भारतेन्दु युगीन कविता की प्रवृत्तियाँ एवं प्रमुख कवि परिचय
हिंदी कविता साहित्य की प्रवृत्तियाँ भारतेंदु युग (१८५७ – १९००) प्रस्तावना :- हिंदी साहित्य के इतिहास के आधुनिक काल का आरम्भ भारतेंदु के समय से माना जाता है | भारतेंदु का जन्म १८५० में हुआ था | उसके कुछ समय बाद १८५७ ई. से आधुनिक काल का आरंभ हुआ | साहित्य के काल विशेष का आरम्भ एक साथ नहीं हो जाता | फलतः जो काव्य-प्रवृत्तियाँ अपने नवीन रूप में भारतेंदु के समय में उभरकर आयी वे अपने साथ रीतिकाल के अंतिम चरण को भी समाहित किये हुए थी | इसलिए हमें भारतेंदु युग में रीतिकालीन काव्य की प्रवृत्तियाँ और नवीन प्रवृत्तियाँ दोनों की निहिति मिलती हैं | भारतेंदु युग जागरण का युग रहा है | उसमें नयी सामाजिक चेतना उभरकर आयी है | नूतन विषयों से सम्बन्ध रखने वाली और तत्कालीन समाज के रूप को व्यक्त करने वाली वाणी पहली बार इसी युग में मुखरित हुई है | इस नवोत्थान के अग्रदूत के रूप में भारतेंदु आये l इसलिए इस समय को भारतेन्दु युग के नाम से अभिहित किया गया है | भारतेन्दु युगीन कवि को जनता को दो दृष्टियों से जागरुक करना था | एक राजनैतिक दृष्टि से और दूसरा सामाजिक दृष्टि से ...