हिंदी साहित्य का इतिहास नामकरण और काल विभाजन की समस्या
हिंदी साहित्य का इतिहास नामकरण और काल विभाजन की समस्या काल विभाजन और नामकरण करना हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण समस्या रही है । हिंदी साहित्य के अनेक इतिहासकारों ने काल विभाजन और नामकरण की समस्या पर प्रकाश डाला है। वैसे तो कालखंड की धारा अखंड निरंतर बहती हुई नदी की धारा के समान चलती रहती है। इसकी अविच्छिन्न धारा सर्वदा गतिमान रहती है। केवल बोध , सुविधा के लिए उसे कतिपय भागों में उपविभागों में , खंडों तथा उपखंडों में विभाजन भूत , वर्तमान , एवं भविष्य के रूप में सीमा निर्धारण आदि कर लिया जाता है। किसी विषय को समझने के लिए उसे नाना तत्वों खंडो , तथा वर्गों में विभक्त कर लेना सैद्धान्तिक और व्यवहारिक दोनों दृष्टियों से संगत है । अध्ययन की यह वैज्ञानिक सुव्यवस्था काल विभाजन का मुख्य लक्ष्य है। काल विभाजन के आधार :- ऐतिहासिक कालक्रम के अनुसार :- 1) आदिकाल, मध्यकाल, संक्रांति काल और आधुनिक काल २ ) शासक और उनके शासनकाल के अनुसार ...