तालाबंदी के दिन सुनहरे

जो लोग नौकरी पेशा है
जिन का बड़ा व्यापार है
जो लोग बिल्डर है
जो लोग सधन है 
जिनकी कंपनियाँ है 
जो सेठ साहूकार है ।
वे सभी लोग...।

जो अपने गाँव मे सुरक्षित है ।
जो अपने परिवार के साथ है ।
जिसे दो जून की रोटी नसीब है ।
जिसे आवश्यक सुविधा प्राप्त है ।
जिसे कोई बड़ी समस्या नहीं है ।
ऐसे सभी लोग ।

जिन पत्नियों को शिकायत थी
उनके पति समय नहीं देते
जिन बच्चों को शिकायत थी
पापा बिज़ी रहते है काम में 
समय नहीं बच्चों के साथ 
समय बिताने को ।
पहली बार ममी पापा 
बच्चों के साथ है ।
पहली बार पत्नियों की 
शिकायत पूरी हुई है ।
ऐसे सभी लोग ।

वर्ष दो हजार बीस
तारीख सतरह, माह मार्च 
हो गई छुट्टियाँ स्कूल कॉलेज को
मुक्त हो गये बच्चे परीक्षा से ।
कुछ हद तक तनाव मुक्त हो गये
शिक्षक, प्राध्यापक और अन्य सभी,
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नौकर ।
धीरे-धीरे सभी कार्यालयीन कर्मचारी ।
यहाँ तक कि छोटे-मोटे व्यापारी, 
किसान, मजदूर, सभी तरह के व्यवसायी ।
तालाबंदी के चलते घर रहकर काम किया ।
सरकार के आदेश का पालन किया ।
घर रहकर आनंद सभी लोगों ने भोगा ।
ये सभी लोग ...।

सृष्टि ने भी मुक्त दीर्घ श्वास लिया ।
हवा भी शुद्ध हो गई ।
नदी भी दूषित पानी से मुक्त हो गई ।
समंदर ने भी कुछ खुली सांस ली ।
सृष्टि के सारे उपादान...।

पहली बार संयुक्त हो या विभक्त
सारा परिवार एक साथ है ।
पहली बार अमीर हो या गरीब
खुद का काम खुद कर रहे हैं ।
सभी मिलकर काम कर रहे हैं ।
खाना पका रहे हैं ।
नई-नई डिशे बन रही हैं ।
साथ बैठकर खाना खा रहे हैं ।
परिवार को परिवार के साथ 
रहने का सुख मिल रहा है।
विश्व मनुज को अनादिकाल से 
पहली बार इतना सुख
इसी वर्ष ने दिया है ।
सारे परिवार को...।

सभी का घमंड टूट चुका है ।
कोई मनुज धन के पीछे नहीं है ।
एक साथ मृत्यु का डर लग रहा है ।
अपनी जान बचाने मनुज लगा है ।
डरा है सारा मानव समाज ...।

हे मनुज इन दिनों में ऊब न जा तू
अपने ही घर में सुरक्षित रहेगा तू । 
बहुत कम मौके मिलते हैं घर में रहने के
बाँट ले खुशियाँ अपने परिवार के साथ ।
जी ले जी भर के ये सुनहरे दिन 
रहकर अपने घर में ही ।

लाख-लाख आभार कोरोना तुम आये ।
मनुज को एक दूसरे के करीब लाये ।
विश्व मानव जीवन का अर्थ सिखलाये ।
मोहोदय कोरोना अब तुम चले जाना 
लेकिन सौ सालों में एक बार जरूर आना ।
धन्यवाद ! कोरोना ।


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