आत्मनिर्भरता का पाठ
भारत की भूमि पर
सदियों से निर्भर
कौन हैं, किस पर?
जाँच लो मियाँ
सबक किसको दिया?
जिसने तुम्हारी
टट्टी साफ की
मैला ढोया
घर आंगन की
जमीन बुहारी
बैल जोते,
फसल उगाई
कपड़े धोये,
जूते बनवाये.
तुम्हारी डोली और
अर्थी को कंधा भी
हमने दिया ।
आज भी तुम्हारे
आलीशान महल
प्रशस्त बँगले, फ्लैट
सड़के शहर आखिर
बसाता कौन हैं?
सोचा है कभी?
हम लोग भूखे रहे
पर मांगी नहीं भीख
नहीं खाया
बिना मेहनत का
तोड़ी नहीं
मुफ्त की रोटी
मंदिर में बैठकर
झूठे भगवान का
दिखाकर डर
झूठे ग्रंथों का वास्ता देकर
नहीं उलझाया कभी
रस्मों रिवाजों में रोटी के लिए
नहीं रचे षड्यंत्र हमने
नहीं बनाये वर्ण और जाति
नहीं रचे झूठे ग्रंथ
यह उपज है
तुम्हारी गंदी सोच की
किसे पढ़ा रहे हो तुम
पाठ आत्मनिर्भरता का
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