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Showing posts from April, 2020

सूफी काव्य की विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि

सूफी प्रेमाख्यानक काव्य  कबीर आदि संत कवियों ने निर्गुण परंपरा को स्वीकार किया था। सूफी कवि भी निर्गुण को मानते थे। अंतर केवल उपासना पद्धति में था। संतो ने ज्ञान का आश्रय लिया और सूफियों ने प्रेम का। इसीलिए रामचंद्र शुक्ल ने निर्गुण भक्ति धारा को दो शाखाओं में विभक्त किया था। ज्ञानाश्रयी भक्ति शाखा और प्रेमाश्रयी भक्ति शाखा। संत कवियों के संदर्भ में ज्ञानाश्रयी भक्ति शाखा की चर्चा हम पीछे कर आए हैं। यहां हम सूफी प्रेमाश्रयी शाखा पर विचार करेंगे। 'सूफी' शब्द के मूल अर्थ के संबंध में विद्वानों में बड़े मतभेद है। कुछ विद्वान इसकी व्युत्पत्ति 'सूफ' (ऊन) शब्द से मानते हैं। ऊनी वस्त्र धारण करने के कारण संभवतः  साधक सूफी कहलाए। अलबरुनी के अनुसार सूफी वह व्यक्ति कहलाता था जो 'साफी' (पवित्र) हो। वस्तुतः सूफी वे महात्मा थे जो अरब और इराक देशों में मोटे ऊनी वस्त्र का चोंगा पहनते थे और विरक्तों का-सा पवित्र जीवन व्यतीत करते थे। कुछ विद्वानों ने सूफी शब्द की उत्पत्ति सुफ्फा (चबूतरा) से मानी है। मदीना की मस्जिद के आगे एक चबूतरा है उस पर बैठने वाले सूफी कहलाए। सूफी शब्द सफ्फ (...

तालाबंदी के काले दिन

तालाबंदी के दिन काले नसीब न हुई दो जून की रोटी छीन लिए मुँह से निवाले इंतजार किया रोटी का    करते रहे प्रबंध भूख का हालात अनार्य मनुज का देश के भूमि पुत्रों का हुआ है बेहाल उसके ही घर में आर्यों की गुलामी करता बहुजन,आदिवासी समाज  अपने अधिकारों से वंचित अपनी हक़ की रोटी से बंदिस्त बनाकर आर्यों ने गुलाम बनाया अनार्यों को जानकर इतिहास लड़ो तुम देश के मूल नागरिक हो तुम अधिकारों के लिए लड़ो तुम मित्रों गुलामी के कारण देखो दुश्मन से ही थोड़ा कुछ सिखों इस हालात के जिम्मेदार कौन? किसने छीना है मुँह का निवाला यह सरकार तुम्हारे लिए नहीं   यह न्यायालय तुम्हारे लिए नहीं यह कार्यपालिका तुम्हारी नहीं मीडिया भी तुम्हारा नहीं हैं तुम्हारे लिये योजनाएं कौन बनाएगा? तुम्हारे देश में तुम्हारा कुछ नहीं तुम्हारे जितना लाचार कोई नहीं हे बहुजन अनार्यों इतने क्यों गिर गये     घिन आती है मुझे तुम पर  रोटी, पद, प्रतिष्ठा के लिये लाचार हुये कर दिये अपने ही समाज को गुलाम । हे बहुजनों उठो संघर्ष करो जिसने छीनी है तुम्हारी रोटी तुम्हारे बच्चों का भविष्य ठोकर खाने को किया है जि...

कृष्ण भक्ति काव्य के प्रमुख कवि एवं विशेषताएँ

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कृष्णभक्ति काव्य  शंकराचार्य के मायावाद के विरोध में जो आचार्य सामने आए उनमें वल्लभाचार्य का विशेष स्थान है। अलवार भक्तों ने भक्ति का मार्ग दक्षिण में प्रशस्त किया था। अभीर जाति के लोगों में बाल गोपाल की उपासना प्रचलित थी। वल्लभाचार्य ने अपना सारा जीवन उत्तर भारत में व्यतीत किया। यह भागवत सम्मत वैष्णव धर्म के अनुयाई थे। उन्होंने यह माना है कि श्री कृष्ण ही परब्रह्म है। वह सत चित और आनंद स्वरुप हैं। वह लीला करने के लिए ब्रज में अवतरित होते हैं। वल्लभाचार्य का दार्शनिक सिद्धांत शुद्धाद्वैतवाद कहलाता है। शुद्धाद्वैत का अर्थ है शुद्ध अद्वैत (यानी वह जो ब्रह्म है वह माया के संबंध से रहित है) इसीलिए शुद्ध है। वल्लभाचार्य की भक्ति को उनके पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ ने और आगे बढ़ाया। उन्होंने इस संप्रदाय को देश के विभिन्न भागों में फैलाया। इन्होंने ही अष्टछाप की स्थापना की जिसके कवियों का गौरव कृष्ण भक्ति साहित्य का विस्तार करने में देखा परखा गया है। इस परंपरा का हिंदी भक्ति साहित्य में बहुत विकास हुआ है। हिंदी का कृष्ण भक्ति शाखा का काव्य उसका उदाहरण है। कृष्ण भक्त कवियों का संक...

नाम की तलाश

कलियों से पूंछू  फूलों से पूंछू  बगियाँ वालों से पूंछू क्या नाम तेरा-----?                   सोचते नाम तेरा               सुन जा रे साथिया              खो गया इतना              नाम मेरा भूल गया । भवरों से पूंछू  झरनों से पूंछू नदियाँ वालों से पूंछू  क्या नाम तेरा -----?               हमने तुमसे प्यार किया               फिर भी नाम न जान लिया               कोयल कुहक ने लगी               धरती ने साद सुन लिया । धरती से पूंछू अम्बर से पूंछू दुनियाँ वालो से पूंछू क्या नाम तेरा.....?             नाम गगन में              लहार रहा             खूबियां पवन में        ...

दस प्रतिनिधी कहानियों के प्रश्न - उत्तर

1. नौकरी पेशा - कमलेश्वर दीर्घोत्तरी प्रश्न - 1) 'नौकरी पेशा' कहानी के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहते हैं? समझाइए । 2) 'नौकरी पेशा' कहानी का आशय स्पष्ट कीजिए । 3) 'नौकरी पेशा' कहानी में व्यक्त विचारों को स्पष्ट कीजिए । 4) नौकरी पेशा' कहानी में नौकरी पेशा समाज का चित्रण किस प्रकार हुआ है? स्पष्ट कीजिए । 5) 'नौकरी पेशा' कहानी के राधेलाल का चरित्र चित्रण कीजिए । 6)  'नौकरी पेशा' कहानी का आशय स्पष्ट कीजिए । 8) नौकरी पेशा' कहानी के रामभरोसे का चरित्र चित्रण कीजिए । टिप्पणियां 1) 'नौकरी पेशा' कहानी के राधेलाल । 2) नौकरी पेशा ' के लालारामभरोसे । 3) 'नौकरी पेशा' कहानी में व्यक्त विचार । 4) 'नौकरी पेशा' कहानी का सारांश । 1)  'नौकरीपेशा' कहानी के लेखक कौन है? उत्तर :- कमलेश्वर  2) राधेलाल किस कहानी का पात्र है?  उत्तर :- नौकरीपेशा  3) नौकरीपेशा के राधेलाल सफाई कौन सी तीन चीजों की करते हैं?  उत्तर :-  जूते, कोर्ट और साइकिल 4) नौकरीपेशा के राधेलाल को दफ्तर से कौन बुलाने आया था?  उत्तर :- चपरासी  5)  नौकरीपेशा...

मुँह दिखाने लायक नहीं रखा

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यह भारतीय समाज के लिए नया शब्द नहीं है इसके अर्थ को भी समझना मुशिकल नहीं है                         लड़के-लड़की को प्रेम हुआ             माँ-बाप रजामंद नहीं             दोनों को परिवार से विरोध हुआ              आख़िर प्रेम था दोनों में             गये भाग घर से             हो गये थे आजाद              बंधनों से             ज्यादा शर्मिंदा हुआ था             लड़की का बाप             समाज में बड़ी इज्जत थी             उसी समाज को             मुँह दिखाने लायक नहीं रखा । अपने बच्चों को परीक्षा में अंक अच्छे न लाये तो  जिन बच्चों को पढ़ा-लिखाकर ...

हृदय मंदिरात तू (मराठी कविता)

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नयनातल्या असावा परी स्वप्नातल्या गोडव्या परी मोगऱ्याच्या परीमला परी  श्वासातल्या श्वासात येरझाऱ्या परी तू ।                                    मंदिरातल्या ज्योती परी                  पावसाच्या सरी परी                  हृदयाच्या कंपना परी                  मधुर गाण्याच्या सुरा परी कंठात तू । अथांग उठणाऱ्या वादळा परी सैर वैर झालेल्या विचारा परी पुस्तका पुस्तकातल्या कथे परी  अथांग फैललेल्या समुद्रा परी मनात तू ।                 हृदय मंदिरात राहावीस तू                 दूर-दूर असलीस तरीही तू                 मला आवडीने पहावेस तू                 मनात राहून चेहऱ्यावर हास्य फुलवावेस तू ।

फ़रियाद

जकड़ों न जुल्फों को छू लेने दो घटाओं को बनो न कातिल  भरने दो एषणाओं को                      मुस्कुरा दो खुलकर                      झड़ने दो फूलों को                      भीतर की कामना                      कहने दो अधरों को देखों न ऐसे के  निशाना बना जाये चिलमन भी ऐसी के दीवाना बन जाये                     रूठो न ऐसे के                     मनाया न जाय                     मिलो भी ऐसे के                     भुलाया न जाय.

प्यार था...? (लप्रेक)

लप्रेक प्यार था.... ? मुम्बई की चाह रखी थी कभी शायद ! इसी कारण मुम्बई में ही नौकरी मिल गयी । धीरे-धीरे मुम्बई का भी परिचय होने लगा था..... और उसका भी.... । कई विषयों पर हमारी चर्चा होती रहती । जीवन की हर समस्या को सुलझाने का प्रयास करते रहते । एक दिन वह कह रही थी.... किसीसे प्यार करती है.... । उससे प्यार का इजहार कैसे करूँ मुझसे पूछती थी.... । मैने उससे कई बार पूछा उसका नाम...! जिसे वो चाहती है.... लेकिन उसने कभी नहीं बताया.... । उसका प्रेम किस पर है पता नहीं....। पर मुझे इस शहर से प्रेम हो गया है ।

अशी तू ( मराठी कविता )

कापसा सारखे मऊ गाल. गुलाबा सारखे ओठ लाल.              चाफेकळी सारखे              नाक तुझे              नर्गिसा सारखे              डोळे तुझे रेशमा सारखे केस तुझे चंद्रा सारखे श्रीमुख तुझे               कोकिळे सारखा               कंठ तुझा               अमृता सारखे               शब्द तुझे चांदी सारखं तन तुझं गंगे सारखं मन तुझं              निशान्या सारखी              नजर तुझी              तलवारी सारखी              वार तुझी अशी नटखट नार तू ! कैक केलस गार तू !              तू सुगंध मोगरा       ...

जिव्हाळा (मराठी कविता)

जिव्हाळा वाट पाहून तुझी डोळे मिटत आहेत आठवणीने तुझ्या  जीव जात आज आहे                कधी येशील प्रिये                किती वाट पाहू                या पुढे जगू का?                मी मरून जाऊ  पाहतोय वाट असा  चातक पाहतो तसा तुझ्या विना प्रिये  जगू मी कसा               जशी आलीस मनात               कशी येतेस स्वप्नात               त्याच चोर पावलांनी               कधी येशील जीवनात  जीव जडतांना सखे माहीत असते असे माझेच मन माझे राहत नाही कसे              पाहून वाट तुझी              सुरू झाला उन्हाळा              जग...

कळतंय का काही

मनुवाद्यांच्या राज्यात अयोध्येतील मंदिर का मस्जिद म्हणून भांडण वाढलं मुस्लिमांच्या मस्जिदला पाडलं                 राम आणि रहिम ला                 माझा तुझा म्हणून वाटलं                 खुर्ची साठी नेत्यांनी                 देवाला पण वाटलं समाजाला धर्मा धर्मात  वाटलं  धर्माची मतं मिळतील म्हणून झटलं राज्यांची पण निर्मिती अशीच झाली भाषावार राज्याची रचना केली               मराठीना महाराष्ट्रात गाढलं               शिखाना पंजाबला धाडलं               कानडीना कर्नाटक दिला               तसं गुज्जू ना गुजरात दिला झाली अशी देशाची प्रांतावर रचना पण ही अशी रचना काहीना भावेना देशात पाकिस्तानच भांडण वाढलं पाकिस्तानने काश्मीर साठी नडलं           ...

दूसरा महाभारत

दूसरा महाभारत चीन का वुहान शहर ,   माह दिसंबर 2019   का  सन् निद्रित,   सपने बुनता ,  बे खौ फ  जीता था आम   जन  l माह के मध्यान्ह शहर में हलचल मच ने लगी चीनी घायल सैनिकों की खबरे मीडिया  में  लगी  l हमला हुआ था शत्रु का ,  घायल हो रहा चीन अदृश्य शत्रु का हम ला ,  सुन परेशान हुए जन ढूंढ ते  रहे शत्रु को अनजाने, सारे सैनिकी दल रोकने प्रकोप को आगे आये वैज्ञानिक निश्छल  l देख परीक्षण कर सैनिकों का पता लगा ये     बहुत सैनिकों में निमोनिया के लक्षण   पा ये  l हो रहे थे कई सैनिक घायल और ढेर चीन ने पहचाना दुश्मन नहीं लगाई देर  l नाम था जिसका वाइरस को विड - नाइन टिन हो  रहा था चीन सम्पूर्णतः उसके स्वाधीन l मुकाबला करने चीन ने कस ली कमर बचाने सैनिक ,  योद्धाओंने ली हाथ खंजर  l चलता रहा घनघोर युद्ध चीनी भूमि में होता रहा परास्त कोरोना रण भूमि में  l धीरे-धीरे इसने दुनिया में भी पैर पसारे थे इसके वार से अनजान विश्व के देश...