सूफी काव्य की विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
सूफी प्रेमाख्यानक काव्य कबीर आदि संत कवियों ने निर्गुण परंपरा को स्वीकार किया था। सूफी कवि भी निर्गुण को मानते थे। अंतर केवल उपासना पद्धति में था। संतो ने ज्ञान का आश्रय लिया और सूफियों ने प्रेम का। इसीलिए रामचंद्र शुक्ल ने निर्गुण भक्ति धारा को दो शाखाओं में विभक्त किया था। ज्ञानाश्रयी भक्ति शाखा और प्रेमाश्रयी भक्ति शाखा। संत कवियों के संदर्भ में ज्ञानाश्रयी भक्ति शाखा की चर्चा हम पीछे कर आए हैं। यहां हम सूफी प्रेमाश्रयी शाखा पर विचार करेंगे। 'सूफी' शब्द के मूल अर्थ के संबंध में विद्वानों में बड़े मतभेद है। कुछ विद्वान इसकी व्युत्पत्ति 'सूफ' (ऊन) शब्द से मानते हैं। ऊनी वस्त्र धारण करने के कारण संभवतः साधक सूफी कहलाए। अलबरुनी के अनुसार सूफी वह व्यक्ति कहलाता था जो 'साफी' (पवित्र) हो। वस्तुतः सूफी वे महात्मा थे जो अरब और इराक देशों में मोटे ऊनी वस्त्र का चोंगा पहनते थे और विरक्तों का-सा पवित्र जीवन व्यतीत करते थे। कुछ विद्वानों ने सूफी शब्द की उत्पत्ति सुफ्फा (चबूतरा) से मानी है। मदीना की मस्जिद के आगे एक चबूतरा है उस पर बैठने वाले सूफी कहलाए। सूफी शब्द सफ्फ (...