एहसास

 जिम्मेदारियों का एहसास
तुझे है न मुझे है
मैं अपनी मदहोशी में
नहीं खबर दुनिया की
स्वार्थांदो की
जिन्होंने बढ़ाई है लाचारी
बेकारी, भूखमरी भ्रष्टाचारी
 यही है व्यभिचारी
कहते हैं खुद को ब्रह्मचारी
तिलक और चेंडी धारी
चाहे जैसे रहो जिओ
बलबूते पर अपने
ठगों नहीं निर्बल दीन दलितों को
करो कुछ कीमत उस जान की भी
जो पड़ी है फुटपाथ पर
इंसानियत जरूरी है
जान सबकी जान होते हैं
बिल्कुल एक समान होती है
एहसास तुझे और मुझे भी हो

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