राशनकार्ड का हाल

राशनकार्ड का हाल
सीने से लपेटे अपने दिल के टुकड़े को
सुनसान सड़क पर गुहार लगती माँ
भूख प्यास से लथपथ किसी अस्पताल
किसी डॉक्टर तक पहुँचने के लिए
दौड़ लगाती हुई माँ को देखा है मैने
वाहन, डॉक्टर के न मिलने कारण
माँ के सीने से चिपके हुए बच्चे को
दम तोड़ते हुए दिन दहाड़े सड़क पर
किसी फ़िल्मी सीन की तरह देखा है मैने

चोरी, डकैती, लूट-पाट, मार-काट
होती रहती थी रातो रात अंधेरे में
परिवार की परवरिश के खातिर
पेट की आग मासूमों की जिंदगी
बचाने के लिए मुँह छुपाये
होती रहती थी मजबूर हालात में
जिन्होंने जमाया था अधिकार
जल, जंगल, जमीन पर और
किया था कोसों दूर रोटी से
दिया था वास्ता कर्मफल और
ईश्वर का जो कभी नहीं था हमारा
आज भी गंदी बांसी रोटी तोड़ते हुए बूढ़े को
भूख से बिलखते हुए बच्चों को
 घास की रोटी खाती हुई बुढ़िया को
चलते हुए टेम्पो को
भूक के ख़ातिर अनाज को
दिनदहाडे लुटते हुए
जो दृश्य कभी न देखा था वो देखा है मैंने ।

सुना तो होगा कभी आपने, बीमारी के बारेमें
कैंसर, शुगर, बी.पी. या और कोई इससे भी बड़ी
उन्हीं की बीमारियाँ हैं ये, एड्स, कोरोना या टी.बी
ख़ुद होकर अछूत, सछुत कहकर रचलिया पाखंड
छीन कर मुख का निवाला जिन्हें भूक लगती नहीं
वे अन्न की जगह ये मुद्रा खाते हैं, इंग्लिश पीते हैं।
देश-विदेशों में घूमकर अपनी प्यास बुझाते हैं ।
अपनी अय्याशी में मदमस्त ये पासपोर्ट धारी
जब फैली विश्वभर में कोरोना की महामारी
आयी याद अपनी सुरक्षित भारत माँ प्यारी
इन्हीं के कारण वतन के मूलनिवासी लाल
रोजी-रोटी के लिए भटक रहे हैं होकर बेहाल
कोरोना से मरेंगे तब मरेंगे लेकिन भूख से आज
पासपोर्ट ने राशनकार्ड को तड़पाते देखा है मैंने।

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