मुँह दिखाने लायक नहीं रखा
यह भारतीय समाज के लिए
नया शब्द नहीं है
इसके अर्थ को भी समझना
मुशिकल नहीं है
लड़के-लड़की को प्रेम हुआ
माँ-बाप रजामंद नहीं
दोनों को परिवार से विरोध हुआ
आख़िर प्रेम था दोनों में
गये भाग घर से
हो गये थे आजाद
बंधनों से
ज्यादा शर्मिंदा हुआ था
लड़की का बाप
समाज में बड़ी इज्जत थी
उसी समाज को
मुँह दिखाने लायक नहीं रखा ।
अपने बच्चों को
परीक्षा में अंक अच्छे न लाये तो
जिन बच्चों को
पढ़ा-लिखाकर
क़ाबिल बनाने की
जद्दोजहद में जुट जाते है माँ-बाप
घर के सारे सदस्य
उम्मीद लगाये बैठते हैं
डॉक्टर, इंजीनियर
बनेगा लाल ।
सपनों पर माँ-बाप के
खरे न उतर कर
निर्बुद्ध, हो, या
चुन लिया हो गलत रास्ता ।
तब भी कहते हैं माँ-बाप
मुँह दिखाने लायक नहीं रखा ।
हरकत किसी की भी
गिरी हुई होती है
व्यवहार किसी का भी
बुरा ही होता है
कोई भी काम किसी भी तरह का
गलत काम होता है
चोरी, खून, डकैती,
अन्याय, अत्याचार,
जुल्म, बलात्कार,
छीना-झपटी, मार-मारी
स्वार्थान्ध, धर्मांध, हो
ऐसा अपने कोई बच्चे करें तो
मुँह दिखाने लायक नहीं रखा
कहते हैं
शर्म से पानी-पानी हो जाते थे लोग
जिनको शर्म थी ।
वैश्विक मानव ने
छोड़ दी लाज शर्म
गिर गया है इतना
अपने ही नजरों में
यही कारण है शायद
मानव ने मानव से
मुँह दिखाने लायक
नहीं रखा था ।
किये हो कई बुरे कर्म
किये हो कई बुरे कर्म
निम्मित मात्र कोरोना ।
दूर रह कर एक दूसरे से
ढकना है मुँह मास्क
रुमाल या दुपट्टे से
बचना है मानवता को
मुँह दिखाने लायक ।
अपने अच्छे व्यवहार से
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