फ़रियाद

जकड़ों जुल्फों को
छू लेने दो घटाओं को
बनो न कातिल
भरने दो एषणाओं को
मुस्कुरा दो खिल-खुलकर
झड़ने दो फूलों को
भीतर की कामना
कहने दो अधरों को
देखो न ऐसे कि
 निशाना बन जाए
चिलमन भी ऐसी कि
दीवाना बन जाए
रूठो न ऐसे कि
मनाया ना जाए
मिलो भी ऐसे कि
भुलाया न जाए !!

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