दूसरा महाभारत

दूसरा महाभारत

चीन का वुहान शहर, माह दिसंबर 2019 का सन्
निद्रित, सपने बुनता, बे खौ जीता था आम जन l

माह के मध्यान्ह शहर में हलचल मच ने लगी
चीनी घायल सैनिकों की खबरे मीडिया में लगी l

हमला हुआ था शत्रु का, घायल हो रहा चीन
अदृश्य शत्रु का हमला, सुन परेशान हुए जन

ढूंढते रहे शत्रु को अनजाने, सारे सैनिकी दल
रोकने प्रकोप को आगे आये वैज्ञानिक निश्छल l

देख परीक्षण कर सैनिकों का पता लगाये  
बहुत सैनिकों में निमोनिया के लक्षण पाये l

हो रहे थे कई सैनिक घायल और ढेर
चीन ने पहचाना दुश्मन नहीं लगाई देर l

नाम था जिसका वाइरस कोविड-नाइनटिन
हो रहा था चीन सम्पूर्णतः उसके स्वाधीन l

मुकाबला करने चीन ने कस ली कमर
बचाने सैनिक, योद्धाओंने ली हाथ खंजर l

चलता रहा घनघोर युद्ध चीनी भूमि में
होता रहा परास्त कोरोना रण भूमि में l

धीरे-धीरे इसने दुनिया में भी पैर पसारे थे
इसके वार से अनजान विश्व के देश सारे थे l

सिकंदर की तरह करना था इसे दुनिया पर राज्य
इटली, इरान समेत घायल हुआ बलाढ्य साम्राज्य l

विश्व सारा एक हुआ इस शत्रु से लढने पहली बार
कोरोना वाइरस ने सारे विश्व मे मचाया था हाहाकार l

पहली बार विश्व के मानव का अहंकार छुट गया
पहली बार मानव कोरोना जैसे शत्रु से टूट गया l

सृष्टि से सब छीनकर लिया था तुमने अब तक
थे कह ये मेरा, ओ मेरा सीने में जान होने तक l

बना रखें हैं बँगले, ऊँचे घर, छीन घोसलें परिंदों के  
देख रहे हो लाखों के क़ैदखाने बनाये हुए है खुद के l

अदृश्य शत्रु का होते प्रहार, मच गया था सर्वत्र हाहाकार l
रथी महारथी कई देश ढ़ेर हुए, अपने अपनों से दूर हुए l

रोकने शत्रु, कोशिशें की अनेक, निरस्त हुए हारथी अनेक l
ढूंढ़ न सके उपाय कोई, कोरोना के डर की चादर छाई l

कोरोना वाइरस का प्रकोप विश्व भर में बढ़ता रहा था
दुसरे महाभारत के कृष्ण, सुदामा से मित्रता बढ़ा रहा था l

किसी देश को मास्क तो किसी को दवा चाहिए
है मदत करते हुए कृष्ण को सब से आगे पाइए ।

भारत में दूसरे महाभारत का प्रथम चरण का रंभ हुआ
तारीख30 दिन गुरुवार माहे जनवरी 2020 को प्रारंभ हुआ l

हुआ था अदृश्य अनजाने शत्रु का वार
भारत के सैनिकों पर किया था प्रहार l

मचाया था इसी शत्रु ने विश्व में हाहाकार
तब होकर अनंजान हमारे कृष्ण बैठे थे बेकार l

लगातार बावन दिनों तक सैनिक लड़ रहे थे
शत्रु के आगे-आगे आ वार पर वार बढ़ रहे थे l

भारत के कृष्ण हमारे हाथ पर हाथ धरे हुए थे
नहीं ! घायल होते सैनिकों की गिनती कर रहे थे l

घायल एक-एक सैनिक देश भर में होते रहे ढ़ेर
शत्रु का मुक़ाबला करने कृष्ण, लगा दी बहुत देर l

देर ही सही सेनापति कृष्ण की नींद खुल आयी  
होश संभाला उन्होंने तो भयंकर समस्या छायी l

युद्ध होना अटल है करनी होगी ही लड़ाई
सोचा कृष्णने किस पक्ष में रह मिले बधाई  l

आख़िर मानकर सत्य का साथ सत्ता में रहकर
अठाइस राज्यों के मंत्रियों का सेनापति बनकर l

और अपने नौ मित्र राज्यों को साथ जोड़कर
कर्ण, दुर्योधन जैसे योद्धाओं को साथ लेकर l

चल पड़े हैं मैदान में शत्रु का संहार करने को
घर में घुस कर प्रहार करने वाले अदृश शत्रु को l

निकल पड़े है निहत्ते शत्रु पर विजय पाने को
बुलंद हौसले से जीता जाता है बड़े बड़े युद्ध को l

पहली बार इस युद्ध से घायल सैनिकों की जान बचाने में
लगे हैं दुर्योधन, कर्ण से अनेक योद्धा डटे है अस्पतालों में l

मुकाबला करते-करते इस अदृश्य शत्रु का घायल हुए है l 
किसीने दम तोड़ा है, तो कोई मुकाबलाकर विजयी हुए है l

कृष्ण केवल योद्धाओं को बचाने में लगे रहे l 
घर से बेघर सामान्य सैनिक दम तोड़ते रहे l

करना था जो समय पर कार्य कृष्ण ने नहीँ किया
बचाये जा सकते थे कई गरीब सिपाही नहीँ बचाया l

करते रहे मन की बात, ठोकते भाषण, होती रही फेकम फेक
भाई औ बहनों लोगोंको मुर्ख बनाने का मौका छोड़ते नहीँ एक l  

लाखों सैनिक पूरे देश शहर दर शहर फैले हैं 
करते रहना है संघर्ष और रोजी-रोटी पाना है l

कोरोना जैसे दुश्मन से लड़ने के लिए
सारे विश्व के योद्धा, सेनापति हार गए l

इससे लढने के नये उपाय ढूंढ लिए है
लॉक डाउन से बेहतर कुछ भी नहीं है l

किया निर्णय कृष्ण ने लॉक डाउन का जारी
इक्कीस दिन घर में रहो बाहर है दुश्मन भारी l

सभी स्कूल, कॉलेज, कार्यालय ,कारखाने बंद हुए
सभी छात्र, कर्मचारी, कामगारों के भी काम बंद हुए l

कर्मचारियों, बाबुओं कामगारों की तो समस्या थी नहीं
समस्या थी असली सैनिकों की जो मेहनत से डरता नही l

देश भर में बंद के चलते काम धंदे औ रहने का ठिकाना नहीँ 
अन्न-पानी रोजी-रोटी और रुपये पैसे का कुछ ठिकाना नहीँ l

ऐसी भयंकर अवस्था मे भी देश की रक्षा के ख़ातिर
इक्कीस दिन तक लढ़ता रहा जांबाज देश के खातिर l

दूसरे महाभारत के युद्ध के बीच मे कृष्ण कुछ घोषणाएं करते
देश के सैनिकों, कर्मचारियों, योद्धाओं की आशाएं बढाते जाते l

कृष्ण की घोषणाओं में बढ़ाओ हौसला योद्धाओं का ताली बजाओ
बढ़ाओ हौसला जांबाज सैनिकों  का थाली, ढोल, नगाड़े बजाओ l

उम्मीदें थी योद्धाओं की कृष्ण से सेनापति के नाते हत्यार पूछेंगे
सैनिकों को भी हत्यार, दवा दारू खाना-पीना और रहना  भी पूछेंगे l

पर कृष्ण आखिर कृष्ण ठहरे उन्हें सैनिकों की हाल का पता कहाँ
उनके राजमहल में बेबसी और दुखदायक ऐसी चीजे होती है कहाँ l

इक्कीस वे अंतिम दिन में सभी सैनिक खुश हो रहे थे
इक्कीस दिन बाद सभी घर जाने की खुशियाँ मना रहे थे l

इक्कीस वे दिन फिर सेनापति ने इस युद्ध को जारी रखा
इक्कीस दिन के युद्ध में हम शत्रु को परास्त नहीं कर सका l

अदृश दुश्मन कोरोनाने हार न थी मानी
ठहरा दुश्मन बड़ा बेरहम बड़ा स्वाभिमानी l

न निकलो घरों से न घूमों बहार कहीं भी
पास में खड़ा है दुश्मन हार जगह यहीं भी l

फिर से यह युद्ध और पंधरा दिन चलता रहेगा
कोरोना से दो और दो चार हात दूर रहना पड़ेगा l

दुसरे महाभारत की लड़ाई कृष्ण के भरोसे जीती नहीँ जाएगी
सैनिकों, दुर्योधन, कर्ण से योद्धाओं के संयम से विजय होगी l

कोरोना के साथ देश में दूसरे महाभारत का युद्ध जारी है
पांडव लड़ रहे हैं अपने राज्यों में ये उनकी जिम्मेदारी है l

मेरे देश के जांबाज सैनिकों को और कुछ दिन लढना पड़ेगा
दूसरे महाभारत के युद्ध मे सैनिकों को जीवित रहना पड़ेगा l 

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